कोरोना वायरस के कहर से बचने के लिए क्वारंटाइन (Quarantine) शब्द आजकल काफी चर्चित है। इसकी के साथ क्वारंटाइन हिंदी मीनिंग, क्वारंटाइन का अर्थ गूगल पर काफी सर्च हो रहा है। आईये जानते है कि ये क्वारंटाइन क्या है और इसका सही अर्थ क्या है। क्वारंटाइन (Quarantine) का हिंदी में अर्थ है–'छूतरोग से पीड़ित व्यक्तियों को अलग रखने का प्रबंध।'
अगर कोई कोरोना के संक्रमण की आशंका को देखते हुए घर पर ही खुद को सबसे अलग-थलग कर लेता है तो इसे होम क्वारंटाइन कहा जाता है। वही, सरकार की तरफ से भी क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं जहां कोरोना के संदिग्ध संक्रमित लोगों को रखा जाता है। क्योंकि क्वारंटाइन की अवधि 14 दिनों की है और इन्हीं 14 दिनों के भीतर कोरोना वायरस के लक्षण खुलकर सामने आने लग जाते हैं।
किन्हें करना चाहिए होम क्वारंटाइन?
–ऐसे लोग जो कोरोना वायरस से संक्रमित देश से आए हों
–ऐसे लोग जिनके रिश्तेदार कोरोना पॉजिटिव पाए गए हों
–ऐसे लोग जो कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए हों
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किन लोगों को क्वारंटाइन करने की जरूरत होती है?
पहला तो वैसे लोग जो ऐसे देश से लौटे हों जहां कोरोना वायरस का संक्रमण रहा हो। ऐसे लोगों का भी क्वारंटाइन होना चाहिए जिनके करीबी या रिश्तेदार कोरोना पॉजिटिव पाए गए हों। ऐसे लोग जो जाने-अनजाने कोरोना पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आए हों, उन्हें भी क्वॉरेंटाइन करने की जरूरत है। अगर किसी शख्स पर इन तीनों में से कोई भी स्थिति लागू होती है तो उन्हें क्वारंटाइन या फिर होम क्वारंटाइन करने की सख्त जरूरत है।
कैसे करें होम क्वारंटाइन?
–होम क्वारंटाइन का मतलब है खुद पर कर्फ्यू लगा देना
–घर में परिवार से अलग-थगल रहना ही होम क्वारंटाइन
–अगर आप कोरोना के एक्सपोजर में आए हों तो सबसे पहले घर के किसी कमरे में खुद को कैद कर लीजिए। कमरे में अटैच बाथरूम होना चाहिए जिसका परिवार का कोई और सदस्य इस्तेमाल न करें।
–अगल कमरे में खुद को कैद करने का मतलब है कि आप अपने परिवार से या फिर किसी और गेस्ट से न मिले-जुलें।
–अगर कुछ जरूरत महसूस हो तो परिवार के सदस्य को जरूर बुलाएं लेकिन उससे कम से कम 3 से 6 फीट की दूरी रखें।
–जिनका होम क्वारंटाइन हो रहा हो, उनके खाने-पीने के बर्तन अलग होने चाहिएं। परिवार का कोई भी सदस्य इन बर्तनों का इस्तेमाल न करे।
आपको बता दे कि क्वारंटाइन और आइसोलेशन अलग-अलग चीज है। कोरोना वायरस के एक्सपोजर में आए लोगों का क्वारंटाइन किया जाता है और क्वारंटाइन के दौरान पॉजिटिव पाए जाने पर उन्हें आइसोलेशन में भेजा जाता है। इसलिए जरूरी है कि जो लोग विदेश से आ रहे हों या फिर कोरोना से संक्रमित लोगों के संपर्क में आए हों, वो खुद ही क्वारंटाइन के लिए पहल करें।